गुरु गोविंद सिंह
सिंह-शेर वो संत हमारे,
धर्म की रक्षा में जो हारे।
त्याग, शौर्य और बलिदानों का,
इतिहास नया रच गए सारे।
खालसा पंथ की ज्योति जगाई,
हर दिल में वीरता भर पाई।
सच्चाई के सिपाही बनकर,
दुष्टों की नींव डगमगाई।
त्याग दिया परिवार सारा,
धरती मां का मान बढ़ाया।
चार साहिबजादों का बलिदान,
धर्म-ध्वज का स्वर ऊंचा लहराया।
गुरुबानी की गूंज में रमता,
हर शब्द उनका सच्चा वचन।
राष्ट्र-धर्म का दीपक जलाया,
अमर हुए गुरु गोविंद सिंह।
नमन तुम्हें हे वीर महान,
तेरा जीवन प्रेरणा बने।
तेरे सिद्धांत, तेरी बातें,
हर युग में प्रकाशित रहें।