टैक्स और राजनीति

किसका पैसा किसको जाये, इसका हिसाब लगाये कौन।
टैक्स देने वाले लोगों को,अब इन्साफ दिलाये कौन।।
मुफ्त की रोटी वालों की संख्या,इस देश में बढ़ती जाती है।
सोचो इनको पैसा देकर भी इनसे कोई काम कराये कौन।।
कितने लोगों का बोझ देश के मुट्ठी भर लोग उठाएगें।
सरकार को जब वह पाल रहे तो इनका बोझ उठाये कौन।।
कोई पूछे इन सरकारों से व्यापारी क्या देश का लाल नहीं।
पढ़े लिखे को ना मिले नौकरी अनपढ़ से काम कराये कौन।।
कोई यहाँ संतुष्ट नहीं फिर भी जीना तो सभी को पढ़ता है।
नेताओं के पेट भरते ही नहीं देश के भूखों का पेट भराये कौन।।
कहे विजय बिजनौरी अब तो बस एकता ही एक सहारा है।
सोचो हम सबको जीवन में कब और कैसे एक कराये कौन।।
ख़ुद के लिए तुम करो काम परिवार के अपने बनो रक्षक।
सारा देश यदि पढ़ लिख ले तो भी सबको काम दिलाये कौन।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।