"दस्तूर-ए-हयात"
Rekha Sharma "मंजुलाहृदय"
चाहे जितना भी रहे, छिलका सख्त कठोर
चाहतों का एक समंदर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन को पैगाम समझना पड़ता है
शायरी - गुल सा तू तेरा साथ ख़ुशबू सा - संदीप ठाकुर
जैन मुनि है महावीर स्वामी भगवान हो
वो शिकायत भी मुझसे करता है
अच्छा नहीं लगता मुझको भीड़ में चलना,
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!