श्रावण
पवित्र पावन श्रवण मास में !
सुख समृध्दि की आस में !!
मन्नत मांगने दूध लेकर…
हम पहुंचे शिवालय में !
देखी जो भीड़ तो…
आ गए अनाथालय में !!
भूख से रोते बिलखते…
मासूमों को देखकर…
हम घर ऐसे आए !
शिवजी के लिए रखा दूध
उनको ही पिला आए !!
देखकर मेरी नादानी
उसने कहा…
पाप करने का क्या !
नया उपाय खोज निकाला है ?
शिवजी के लिए रखा दूध
भूखें नंगों को पिला डाला है !!
मैने कहा…
शिवजी को खोजता…
मैं मंदिर-मंदिर भटकता रहा !
उनकी अकारण नाराजगी का डर
मुझे पल-पल खटकता रहा !!
सही बात तो यह है !
आज मैने शिवालय और कैलाश से
बाहर भी शिव को खोज निकाला है !
इस श्रावण मास में मूर्ति नही बल्कि !
भूखें नंगों के रूप में साक्षात
शिव दर्शन कर उन पर दूध डाला है !!
• विशाल शुक्ल