sp36/37/38/39 वन्यजीवों से प्रेरित
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वन्य जीवों से प्रेरित साहित्य
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1
बिल्ली का नाम लेकर हमें दो न धमकियां
शैशव ने गिने दांत है शावक के शेर के
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2
बड़ा रोटी के टुकड़े से कोई टुकड़ा नहीं होता कि भूखे पेट पर हावी कोई जज्बा नहीं होता
जो कुत्तों से झपटकर मुश्किलों से कौर पाते हैं निवाला उनकी नजरों में खुदा से कम नहीं होता
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3
जिदगी खरगोश की मानिंद सोती रह गई
मौत बाजी ले गई चुपचाप कछुए की तरह
4
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अगर बने खरगोश स्वयं ही आंख बंद कर बैठ जाओगे
तुमको कानों से पकड़ेगा और चमड़ी उतार डालेगा
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5
शुतुरमुर्ग बन रेत में गर्दन अपनी कब तक छुपा पाओगे
अगर आ गया समय शिकारी तुम को तुरत मार डालेगा
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6
दूर हो जाएगी हर मुर्ग की गलतफहमी
हम न बोले तो फिर कैसे सवेरा होगा
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7
चींटी छोटा जीव है निकलें उसे बचाय
करुणा इसको ही कहे बात समझ में आए
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सबका जीवन है उपयोगी चींटी में भी जीवन है
लेकिन मोह रुलाता सबको और रहता आजीवन है
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8
शुतुरमुर्ग कछुआ या केंचुआ या खरगोश बने रहना
जो भी जुल्म करें वह तुम पर नजर झुकाए सब सहना
और अगर धिक्कारे आत्मा मानव हो पुरुषार्थ करो
बनकर सिंह करो अब गर्जन धारा के साथ नहीं बहना
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9
वक्त के कुत्ते ने काटा हमको फीता ढीला था निकल बूट गया
सोचते थे बहुत है ऊंचाई अपनी करवट ले बैठ ऊंट गया
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10
ग्रंथों को दीमक खा गई रक्खे थे टांड़ में
सब गीत ग़ज़ल बिक गए घर के कबाड़ में
बोई है जिसने जो फसल काटेगा का वो वही
अंगूर उगते देखे हैं बेरी के झाड़ में ?
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11
चाहे जैसी भी बद्दुआ दो कोई फर्क नहीं पड़ता है
कौवा कोसे ढोर ना मरते जितनी कांव कांव करले
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12
दर्प से चेहरा उसी का लाल है आंख में जिसकी सूअर का बाल है
है वही उतना सुखी इस दौर में जिसकी जितनी ज्यादा मोटी खाल है
घर से मेरे बेदखल करके मुझे पूछते हैं प्यार से क्या हाल है
तय है हर छोटी को खाएगी बड़ी ताल है छोटा बड़ा यह जाल है
यह तमाचा है नहीं ताली हुजूर हाथ है उनका हमारा गाल है
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13
तुम चाहे जितना भी कोसो कोई फर्क नहींं पड़ना है
फुफकारें जितना भी विषधर मोर नहीं अकुलाया करते
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14
ये पंच तंत्र मे लिखा जंगल का है उसूल
शेरो के सामने टिका कब कोई स्वान है
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15
अक्ल के दुश्मन बहुत मिले पर देखा तुमसा धूर्त नहीं
गिरगिट भी तुम से घबराए तुम मोदी पर तंज कसो
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16
बचपन में बिच्छू ने काटा भूल गए हम सैर सपाटा
चढ़ता जहर पीर देता था और उतरता धीरे धीरे
उस बिच्छू ने बदला चोला नई देह मानव की पाई
संस्कार हैं पूर्व जन्म के इन से बच कर रहना भाई
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17
2 कुत्ते और 2 बैलो की कहानी
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सही बात है अब लोगों ने कुत्तों को पहचान लिया है
कंधों पर बैलों के हल है इसी सत्य को जान लिया है
जितनी भी जल्दी संभव हो कुत्तों के निशान हटवा दो
तभी समझ में तुम्हें आएगा तुमने सत्य पहचान लिया है
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18
नाचता है एक इशारे पर जब उस पर लट्टू होता है
फिर उसके बाद कभी उल्लू गदहा या टट्टू होता है
तकदीर बदलती है कैसे कोई भी समझ नहीं पाता
वह समय बहुत जल्दी आता वह बड़ा निखट्टू होता है
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19
जंगल का राजा बंदर है शेर कटघरे के अंदर है
खूब रेवड़ी बाँट रहा है प्रतिभा पनपे ये दूभर है
नींद भला कैसे आएगी सूली के ऊपर बिस्तर है
तौल रहा है आसमान को घायल पंक्षी टूटा पर है
पैरो में छाले ही छाले पथरीली हर राह गुजर है
बहरी बस्ती गूंगे गायक सच कहना कितना दुष्कर है
मानव हिंसक होता जाता यह जंगल का हुआ असर है
तंत्र बना है नया जमूरा खेल दिखाता बाज़ीगर है
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20
मगर और बंदर दोस्त थे अच्छे बतियाते थे जब भी मिलते
बंदर मीठे फल तोड़ के लाता मगर चाव से उसको खाता
और जब घर को वापस जाते अपनी पत्नी को बतलाता
बंदर मेरा अच्छा मित्र है कितने मीठे फल है खिलाता
एक दिन उससे बोली मगरनी जो इतने मीठे फल खाता
मीठा होगा उसका कलेजा वही मुझे अब तो खाना है
बोल मगर मैं ले आऊंगा कर दूंगा मैं कोई बहाना
अगले दिन बोला बंदर थे तुमको मेरे घर है आना
मगर की पीठ पर बैठा बंदर तभी मगर ने मन की बात बताई
पहले तुमने नहीं बताया कलेजा साथ नहीं लाया मैं भाई
चलो उसे लेकर के आए और भाभी को उसे खिलाएं
मगर लेकर आया बंदर को और बंदर चढ़ गया पेड़ पर
गुजरा साथ बच गई जान खत्म हुई दोस्ती हमारी
कथा का बस सारांश यही है बुद्धि सदा मूर्खता पर भारी
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
यह भी गायब वह भी गायब