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24 Jan 2024 · 1 min read

व्याकुल परिंदा

मैं हूं एक व्याकुल सा परिंदा
जिसे मंजिल छूने की बेताबी है

मैं ऊंचे आसमानों का बाज हूं
मुझे बस पिंजरे से निकालो
मेरे पंखों को आजाद करो
शिखर छूने की मुझे बेताबी है
मैं ऊंचे आसमानों का बाज हूं…

मुझे अपना क्षमता मालूम है
मुझे अपना ठिकाना मालूम है
मुझे अपना रास्ता भी मालूम है
मुझे बस आजाद करो तुम…
मैं ऊंचे आसमानों का परिंदा हूं

मुझमें कुछ नादानी कुछ बचपना है
मुझमें कुछ भय है और कुछ त्रास है
मैं कुछ कमजोर हूं कुछ आसक्त हूं
जंजीरों को तोड़ो मेरे पंखों को छोड़ो
मैं ऊंचे आसमानों का परिंदा हूं…

मुझमें अपार शक्ति अपार हिम्मत है
मेरे भीतर बहुत सारी संभावनाएं है
फिर भी मैं इस पारंपरिकता रूपी
इन जंजीरों को तोड़ नहीं सकता हूं
अभी आसमानों में उड़ नहीं सकता हूं…

Language: Hindi
242 Views

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