Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
29 May 2024 · 1 min read

जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी

(शेर)- मैं आज बदनाम हूँ वहाँ, जहाँ कल तक मुझको पूजा जाता रहा।
कह सके किसी को कि सच क्या है, वहाँ नहीं कोई ऐसा अब रहा।।
———————————————————————–
जब साथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी।
जब हाथ छोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी।।
जब साथ छोड़ दें अपने—————————-।।

ये जो सपनें हम अपने, संजोते हैं क्यों किसलिए।
यह जो घर हम अपना, बनाते हैं क्यों किसलिए।।
जब दिल तोड़ दें अपने, तब क्या करें वो आदमी।
जब साथ छोड़ दें अपने———————-।।

उनको गरूर हैं इसलिए, कि हम छोटे हैं उनसे।
इसी वजह शायद वो, करते हैं रश्क यूं हमसे।।
जब मुँह मोड़ लें अपने, तब क्या करें वो आदमी।
जब साथ छोड़ दें अपने———————।।

करते हैं क्यों सितम, अपनों पर अपने यहाँ।
करते हैं क्यों बदनाम, अपनों को अपने यहाँ।।
जब बर्बाद करें अपने, तब क्या करें वो आदमी।
जब साथ छोड़ दें अपने——————–।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Loading...