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28 Sep 2024 · 1 min read

4477.*पूर्णिका*

4477.*पूर्णिका*
🌷 गरजते बादल की तरह🌷
212 22 212
गरजते बादल की तरह ।
बरसते बादल की तरह ।।
बांटते सुख दुख भी यहाँ ।
हरसते बादल की तरह ।।
कुछ नहीं चिंता फिक्र हमें ।
मचलते बादल की तरह ।।
चीर कर अंधेरे जरा।
चमकते बादल की तरह ।।
नेकिया खेदू जिंदगी।
उमड़ते बादल की तरह ।।
………✍️ डॉ. खेदू भारती “सत्येश “
28-09-2024 शनिवार

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