दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
तुम जब भी जमीन पर बैठो तो लोग उसे तुम्हारी औक़ात नहीं बल्कि
वो अपने दर्द में उलझे रहे
King of the 90s - Television
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
पैर, चरण, पग, पंजा और जड़
अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
प्रधानमंत्री जी ने ‘आयुष्मान भारत ‘ का झुनझुना थमा दिया “
दिल की दहलीज़ पर जब भी कदम पड़े तेरे।
मुर्शिद क़दम-क़दम पर नये लोग मुन्तज़िर हैं हमारे मग़र,
" नेतृत्व के लिए उम्र बड़ी नहीं, बल्कि सोच बड़ी होनी चाहिए"
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जय जय जय जय जय माँ दुर्गा
मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो तुम l