नेता
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
हिज़ाब को चेहरे से हटाएँ किस तरह Ghazal by Vinit Singh Shayar
हर किसी पर नहीं ज़ाहिर होते
तन्हा जिंदगी अब जीया न जाती है
Basically you do not need all the people around you to under
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
सरकार अगर बेटियों के लिए पिस्टल/रिवाल्वर का लाइसेंस आसान व उ
*अभिनंदन के लिए बुलाया, है तो जाना ही होगा (हिंदी गजल/ गीतिक
सड़कों पे डूबते कागज़
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
ख्वाब रूठे हैं मगर हौसले अभी जिंदा है हम तो वो शख्स हैं जिसस
आखिर मुझे कहना है संवेदना है वो वेदना है
मौत जब आनी होगी तभी आयेगी उसे आने से कोई रोक नहीं सकता जैसे
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
हम न होंगे तो ये कहानी बेअसर हो जायेगी,
जग में सबसे प्यारा है ये,अपना हिंदुस्तान
आखिर कब तक
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
गरीबों की शिकायत लाजमी है। अभी भी दूर उनसे रोशनी है। ❤️ अपना अपना सिर्फ करना। बताओ यह भी कोई जिंदगी है। ❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
गुलों की क़बा को सिया भी नहीं था