शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
प्रिये
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
देख तुझको यूँ निगाहों का चुराना मेरा - मीनाक्षी मासूम
थ्हारै सिवा कुण हैं मां म्हारौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Life is forgiving. Every experience, failed or successful, i
घूंट कड़वा ही सही हमदम तेरे इश्क का,
जाओ कविता जाओ सूरज की सविता
दुनिया कैसी है मैं अच्छे से जानता हूं
।। लक्ष्य ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सफाई कामगारों के हक और अधिकारों की दास्तां को बयां करती हुई कविता 'आखिर कब तक'
प्रेम : तेरे तालाश में....!
रिश्ता उम्र भर का निभाना आसान नहीं है