संचित अभिलाष
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
श्री राम का भ्रातृत्व प्रेम
आंखों की गहराई को समझ नहीं सकते,
मंजिल मिले ना मिले लेकिन कोशिश बेमिसाल होनी चाहिए,
बन्ना तैं झूलण द्यो झूला, मनैं सावण मं
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
"राबता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
मिला जो इक दफा वो हर दफा मिलता नहीं यारों,
नवीन और अनुभवी, एकजुट होकर,MPPSC की राह, मिलकर पार करते हैं।
दुःख है, पीड़ा है लेकिन उससे भी अधिक हम कल्पना में खोए हुए ह