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17 Aug 2024 · 1 min read

श्री राम का भ्रातृत्व प्रेम

बालकाल में एक बार भरत जी दौड़े-दौड़े माता कौशल्या की गोदी में जा बैठे, महल में तीनों रानियों संग महाराज दशरथ भी विराजमान थे, वात्सल्य प्रेम से ओतप्रोत माता कौशल्या ने भरत को चूमा और लाड किया, तभी भरत जी कहने लगे माता-माता आपको पता है? मैं राम भैया से श्रेष्त हूँ। माता कौशल्या हँसकर बोली- अच्छा मेरा भरत श्रेष्ठ है, पर कैसे भरत?
भरत जी ने कहा- भैया मुझसे किसी भी खेल में नहीं जीत पाते, थुरू-थुरू में भैया जीत जाते हैं किंतु अंतिम और निर्णायक खेल में हार जाते हैं और मैं विजयी होता हूँ माता श्री।
महाराज दशरथ गदगद होकर बोले- बेटा भरत जब तुम शुरू में हार जाते हो तो तुम क्या करते हो और जब तुम्हारे भैया राम हार जाते हैं तो वो क्या करते हैं?
भरत जी बोले- पिताश्री, मैं हारता हूँ तो रोता हूँ, और जब भैया राम हारते हैं तो वो मुस्कुराते हैं…..।
पंकज बिंदास

Language: Hindi
112 Views

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