Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Sep 2024 · 1 min read

जनता के वोट रूपी साबुन से, केजरीवाल नहायेंगे

जनता के वोट रूपी साबुन से, केजरीवाल नहायेंगे
फ़ी बिजली फ़ी पानी, बिरयानी खिलाएंगे
एक के ऊपर एक फ़ी, फिर जनता को पिलाएंगे
घड़ियाली आंसू जनता के सामने बहाएंगे
बेकसूर फंसाने के आरोप लगाएंगे
फ़ी छाप लोग फिर पिघल जाएंगे
वे पवित्र होकर फिर बैठ जाएंगे
आतिशी ने लाल कुर्सी खाली रखी है
वे दाग रहित बैठ जाएंगे
दामन में दाग, नए नए लग जाएंगे
कोर्ट में वर्षों बरस लग जाएंगे,
न हम जान पाएंगे,न वो बाज आएंगे
तभी तो कहेंगे दाग अच्छे हैं?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

1 Like · 121 Views
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all

You may also like these posts

सैनिक के संग पूत भी हूँ !
सैनिक के संग पूत भी हूँ !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
शिष्टाचार और सद्व्यवहार
शिष्टाचार और सद्व्यवहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
3779.💐 *पूर्णिका* 💐
3779.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
प्यार किया हो जिसने, पाने की चाह वह नहीं रखते।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
न पाने का गम अक्सर होता है
न पाने का गम अक्सर होता है
Kushal Patel
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्री-डेथ
प्री-डेथ
*प्रणय*
सुविचार
सुविचार
Sanjeev Kumar mishra
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
मुद्दत से तेरे शहर में आना नहीं हुआ
Shweta Soni
पल - प्रतिपल जीवन में अज्ञात सा भय सताएगा ही,
पल - प्रतिपल जीवन में अज्ञात सा भय सताएगा ही,
Ajit Kumar "Karn"
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
जिंदगी में एक रात ऐसे भी आएगी जिसका कभी सुबह नहीं होगा ll
Ranjeet kumar patre
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
*यह समय घोर कलयुग का है, सोचो तो यह युग कैसा है (राधेश्यामी
Ravi Prakash
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
कुछ खास शौक नही है मुझे जीने का।
Ashwini sharma
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
ऐ .. ऐ .. ऐ कविता
नेताम आर सी
मुझे भी कोई प्यार सिखा दो,
मुझे भी कोई प्यार सिखा दो,
Jyoti Roshni
अपना चेहरा
अपना चेहरा
Dr fauzia Naseem shad
जब हम नकारात्मक टिप्पणियों को बिना आपा खोए सुनने की क्षमता व
जब हम नकारात्मक टिप्पणियों को बिना आपा खोए सुनने की क्षमता व
ललकार भारद्वाज
विषय -'अनजान रिश्ते'
विषय -'अनजान रिश्ते'
Harminder Kaur
*इश्क़ की आरज़ू*
*इश्क़ की आरज़ू*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बड़ी अजब है जिंदगी,
बड़ी अजब है जिंदगी,
sushil sarna
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
कुछ चोरों ने मिलकर के अब,
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
"बेहतर आइडिया"
Dr. Kishan tandon kranti
लंबा क़ानून
लंबा क़ानून
Dr. Rajeev Jain
सफेद चादर
सफेद चादर
सोनू हंस
*पितृ-दिवस*
*पितृ-दिवस*
Pallavi Mishra
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
लोककवि रामचरन गुप्त के रसिया और भजन
कवि रमेशराज
गीत- चले आओ मिले तुमसे...
गीत- चले आओ मिले तुमसे...
आर.एस. 'प्रीतम'
मुक्तक...छंद पद्मावती
मुक्तक...छंद पद्मावती
डॉ.सीमा अग्रवाल
🙏😊नववर्ष 2025 की शुभकामनाएँ😊🙏
🙏😊नववर्ष 2025 की शुभकामनाएँ😊🙏
Neelam Sharma
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
वैसे थका हुआ खुद है इंसान
शेखर सिंह
Loading...