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18 May 2024 · 1 min read

18. *तजुर्बा*

जिंदगी की दौड़ में,
तजुर्बा यही समझाता….
ये खुशी और मुस्कान,
सबके हिस्से में नहीं आता।

ये ऐतबार, ये प्यार और…
खुशहाल परिवार,
सबके हिस्से में नहीं आता।

ये जमीं, ये आसमां…
ये मंजिल और रास्ता,
सबके हिस्से में नहीं आता।

‘मधु’ बेशक होते हैं…
खूबसूरत किस्सें, कहानी,
लेकिन सुकून से जीना …
सबके हिस्से में नहीं आता।

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Books from Dr .Shweta sood 'Madhu'
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