लोग तुम्हे जानते है अच्छी बात है,मायने तो यह रखता है की आपको
निःशब्द के भी अन्तःमुखर शब्द होते हैं।
हर आँसू में छिपा है, एक नया सबक जिंदगी का,
विश्वेश्वर महादेव
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
अगड़ों की पहचान क्या है : बुद्धशरण हंस
#हे राम !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*जोड़कर जितना रखोगे, सब धरा रह जाएगा (हिंदी गजल))*
Revisiting the School Days
क्यों हमें बुनियाद होने की ग़लत-फ़हमी रही ये
जो राम हमारे कण कण में थे उन पर बड़ा सवाल किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"Recovery isn’t perfect. it can be thinking you’re healed fo
बाजार आओ तो याद रखो खरीदना क्या है।
शीर्षक -बच्चों का संसार पिता!
23/110.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
वो ख्वाबों ख्यालों में मिलने लगे हैं।