मित्र शराब पीने के लिए रोकते हुए

मित्र शराब पीने के लिए रोकते हुए
समानिका छंद,
7वर्ण होते हैं ,जिनका क्रम रगण + जगण + गुरू होता है।
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तू रुको अभी यहीं,
जा रहे नहीं कहीं।
व्यग्रता तजो यहाँ,
काम क्या पड़ा वहाँ।
जागते रहो जरा,
जी अभी नहीं भरा।
बोतलें उड़ेल लो ,
कंठ में धकेल लो ।
मित्र हो घनिष्ट तू,
क्यूँ बना अशिष्ट तू।
बात मान लो अभी,
मौज प्राप्त हो तभी।।
नरेन्द्र सिंह
08.02.2025