तुम हकीकत में वहीं हो जैसी तुम्हारी सोच है।
23/190.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
मन मेरे तू, सावन-सा बन...
गुनाह है क्या किसी से यूँ
मोहब्बत से जिए जाना ज़रूरी है ज़माने में
#कबित्त
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
वो कुछ इस तरह रिश्ता निभाया करतें हैं
मेरी प्रिय हिंदी भाषा
Anamika Tiwari 'annpurna '
मैया नवरात्रि में मुझपर कृपा करना
ग़र वो जानना चाहतें तो बताते हम भी,
***** शिकवा शिकायत नहीं ****