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28 Aug 2024 · 1 min read

दोहे ( 8)

दंगा करने वालो सुन लो, क्यों अपनी मति खराब करो।
घी मक्खन के खाने वालों, क्यों खाते मांस शराब फिरो।
मजदूरों ,मजलूमो ,पर क्यों , चाकू छुरी चलाते हो।
कालचक्र मे फंस कर अपना जीवन नरक बनाते हो।
जिसको ताकत कहते हो, वो ताकत तो कुछ ताकत ना।
ताकत देख कोरोना की ,जिसके सम्मुख कोई ताकत ना।
कोई जाति धर्म पर मान करे, कोई कहता है भगवान नही।
धर्म है बस ईशां होना और कोई धर्म ईमान नही।
सरकारें आती जाती है, इनसे क्यों भाव बनाते हो।
ये आपस मे लड़वाती हैं, क्यों कहने में लड़ जाते हो।
जब पडे़ मुसीबत आन कोई, भी नेता देता साथ नही ।
चन्द सिक्को के लालच में, कभी करो किसी से घात नही।
वक्त पडे़ पर सभी बदल जां, कोई रखता मेल नही।
मर जाओ फांसी खाकर ,या छोड़ेगी तुम्हे जेल नही।
सम्भलो अभी सुधर जाओ, हर किसी के साथ प्यार करो।
नर जीवन मिलना कठिन बडा़ , इसे गफलत मे ना ख्वारकरो।

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