कितना भी कर लो जतन

कितना भी कर लो जतन
तुम चाहे कर लो लाख उपाय
भाग्य में लिखे अक्षर को
न सके कोई कभी मिटाय
पारस नाथ झा
कितना भी कर लो जतन
तुम चाहे कर लो लाख उपाय
भाग्य में लिखे अक्षर को
न सके कोई कभी मिटाय
पारस नाथ झा