Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Jul 2019 · 1 min read

" खूब संभाला था " !!

हालात जहाँ बदले , हर ओर उजाला था !
जो खूब हँसा हम पर , उस मुँह पर ताला था !!

मेरे खेत पड़े सूने , टपरी खाली खाली !
उस द्वार पे लाला ने , फिर ताला डाला था !!

माँ के गहने जेवर , तो बेच दिये हमने !
बीबी ने कँगन को , खूब संभाला था !!

रातें बड़ी गुमसुम थी , चहकी तेरे आने से !
मौसम ने भी जैसे , दिल अपना उछाला था !!

पल में दिल बदला है , पल में दल बदला है !
वे आन मिले हमसे , जिनको तो टाला था !!

है भागमभाग मची , सेहरा न बंधवाये !
दिल में है टीस उठे , वो फूटा छाला था !!

खुशबू दौड़ी फिरती , आँगन द्वारे द्वारे !
तोड़े बन्धन पल में , खुद को यों ढाला था !!

स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )

Loading...