माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
क्या कहूं अपने बारे में अब बस, दुश्मन सा ही लगता हूं लेकिन ।
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
पुरुष और स्त्री की एक अधूरी तलाश - राकेश यादव गोल्डी की कलम से
बेपनाह मोहब्बत है पर दिखा नहीं सकता,
परल दूध में नमक कहीं से, निमनो दूध जियान हो गइल
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
Bahut दर्द हैं अंदर मग़र सब्र भी बहुत हैं
कभी कभी हम हैरान परेशान नहीं होते हैं बल्कि
शानू और बारात पहाड़ी गांव की!🧐
या तो स्वयं के हाथ से श्मशान कर दो।
अगर हम कोई भी काम जागरूकता के साथ करेंगे तो हमें निराशा नहीं
*बारात में पगड़ी बॅंधवाने का आनंद*