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31 May 2024 · 1 min read

माटी की सोंधी महक (नील पदम् के दोहे)

निज माटी की सोंधी महक, होती न जिनके भाग,
एक हूक उठती सदा, एक सदा सुलगती आग।

पोर-पोर तक पीर के, जब पहुँचे सन्देश,
एक भटकता यायावर, दौड़ पड़ा निज देश।

(c)@दीपक कुमार श्रीवास्तव ” नील पदम् “

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