अपना कोई नहीं है इस संसार में....
अगर हमारा सुख शान्ति का आधार पदार्थगत है
"क्रोधित चिड़िमार"(संस्मरण -फौजी दर्शन ) {AMC CENTRE LUCKNOW}
*सब दल एक समान (हास्य दोहे)*
जिंदगी में रंजो गम बेशुमार है
अगर ख़ुदा बनते पत्थर को तराश के
नया है रंग, है नव वर्ष, जीना चाहता हूं।
आसां है चाहना पाना मुमकिन नहीं !
विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Two Different Genders, Two Different Bodies And A Single Soul
अति व्यस्त समय में से भी....
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सत्य
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'