उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये
नश्वर सारा जीव जगत है सबने ही बतलाया
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
बड़ी हसीन रात थी बड़े हसीन लोग थे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मायूसियों से भरे चेहरे...!!!!
** राम बनऽला में एतना तऽ..**
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)
तूँ है कि नहीं है ये सच्च सच्च बता
दो ग़ज़ जमीं अपने वास्ते तलाश रहा हूँ
*देना प्रभु जी स्वस्थ तन, जब तक जीवित प्राण(कुंडलिया )*
हर कोई स्ट्रेटजी सिख रहा है पर हर कोई एक्जीक्यूशन कैसे करना
आप सुनो तो तान छेड़ दूँ मन के गीत सुनाने को।
दर्द को मायूस करना चाहता हूँ