पेवन पहने बाप है, बेटा हुए नवाब।

पेवन पहने बाप है, बेटा हुए नवाब।
भाग्य भरोसे बैठ जो, खोज रहे महताब।।
खोज रहे महताब है, कर आलस से मेल।
समय गवाते खुद सदा, खुद से खेले खेल।।
कहे निराला बात सुन, माना जीवन खेल।
पर मिलते कब कर्म बिन, जगमें सुंदर वेल।।
वेल बिना संभव नहीं , खेले कोई खेल।
कर्म करो हरदम जहाँ, मन पर कसो नकेल।।
संजय निराला