Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2024 · 1 min read

उसको उसके घर उतारूंगा

उसको उसके घर उतारूंगा
मैं अकेला ही घर जाऊंगा

उसको उसके घर उतारूंगा
मैं अकेला ही घर जाऊंगा,
अगर वो नहीं मिला मुझको
तो मैं कौन सा मर जाऊंगा |

उसको आंख भर देख लिया
मैं वहीं पर बिखर जाऊंगा ,
दिल में कुछ भी हो लेकिन
कोई पूछेगा मुकर जाऊंगा |

जिंदगी में आ जाए मेंरी
वह हमसफर की तरह ,
मस्तक पर सजा लूंगा उसे
मैं धीरे-धीरे सभर जाऊंगा |

हर चीज ही मकबूलियत
तक जाये ये जरूरी नहीं ,
तूने बैठने को ना कहा तो
मैं फिर किधर जाऊंगा |

जुबान पर कुछ और है
आंखों का बयान और ,
दिमाग में कुछ और है
इससे तो मैं डर जाऊंगा |

✍कवि दीपक सरल

Language: Hindi
96 Views

You may also like these posts

जीवन के सफर में अनजाने मित्र
जीवन के सफर में अनजाने मित्र
ललकार भारद्वाज
#मेरी_दृष्टि_में-
#मेरी_दृष्टि_में-
*प्रणय*
खालीपन
खालीपन
करन ''केसरा''
बदला है
बदला है
इंजी. संजय श्रीवास्तव
होली पर बस एक गिला।
होली पर बस एक गिला।
सत्य कुमार प्रेमी
ଖେଳନା ହସିଲା
ଖେଳନା ହସିଲା
Otteri Selvakumar
किया पोषित जिन्होंने, प्रेम का वरदान देकर,
किया पोषित जिन्होंने, प्रेम का वरदान देकर,
Ravi Yadav
कुछ पल जिंदगी के उनसे भी जुड़े है।
कुछ पल जिंदगी के उनसे भी जुड़े है।
Taj Mohammad
उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अंधेरे से लड़ो मत,
अंधेरे से लड़ो मत,
नेताम आर सी
मोबाइल
मोबाइल
Dr Archana Gupta
बस इसी सवाल का जवाब
बस इसी सवाल का जवाब
gurudeenverma198
गरीबी की उन दिनों में ,
गरीबी की उन दिनों में ,
Yogendra Chaturwedi
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दहेज मांग
दहेज मांग
Anant Yadav
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बदल दो हालात तुम
बदल दो हालात तुम
Jyoti Roshni
*अच्छे बच्चे (बाल कविता)*
*अच्छे बच्चे (बाल कविता)*
Ravi Prakash
3983.💐 *पूर्णिका* 💐
3983.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"दिल का हाल सुने दिल वाला"
Pushpraj Anant
ग़ज़ल-जितने पाए दर्द नुकीले
ग़ज़ल-जितने पाए दर्द नुकीले
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
नारी शक्ति का सम्मान🙏🙏
नारी शक्ति का सम्मान🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
**ईमान भी बिकता है**
**ईमान भी बिकता है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आपकी कीमत तब होती है ..
आपकी कीमत तब होती है ..
पूर्वार्थ
छलते हैं क्यों आजकल,
छलते हैं क्यों आजकल,
sushil sarna
नियति
नियति
Shyam Sundar Subramanian
मां
मां
Dr.Priya Soni Khare
"रंग भले ही स्याह हो" मेरी पंक्तियों का - अपने रंग तो तुम घोलते हो जब पढ़ते हो
Atul "Krishn"
दुनिया धूल भरी लगती है
दुनिया धूल भरी लगती है
Rambali Mishra
"आधुनिक नारी"
Ekta chitrangini
Loading...