Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 May 2024 · 2 min read

बेटी-नामा

बेटी-नामा

आई जबसे गर्भ में, करवाती अहसास।
माँ मैं तेरी लाड़ली, रहूँ हृदय के पास।

माँ की धड़कन से जुड़े, उस धड़कन के तार।
करे मूक संवाद वह, नहीं प्यार का पार।

आई जबसे गोद में, सिमटा सब संसार।
बिटिया के हित हो रहे, सभी कार्य व्यापार।

घर आँगन की वह परी, खुशियों की सौगात ।
मेरी नन्हीं लाड़ली, ममता की हकदार।

माँ के दिल की आरजू, और पिता का प्यार।
बेटी घर की रोशनी, खुशियों का संसार।

ख्याल रखे माँ बाप का, करती सच्चा प्यार।
बेटी है माँ बाप को, ईश्वर का उपहार।

मन में कितनी सरलता और कितना स्नेह।
प्रेम प्यार अनुराग सब, बिटिया बने सदेह।

घर के सुख-दुख में सदा, खड़ी सभी के साथ।
काज सँवारे सर्वदा, बनकर सबके हाथ।

कोई पूजा-पाठ हो, या उत्सव उल्लास।
बिटिया करती सर्वदा, सब कुछ बिना प्रयास।

सारे काज सम्हाल ले, सारे रिश्ते भेंट।
घर की चादर में सदा, बिटिया रखे समेट।

मेंहदी, शादी-ब्याह हो, या हो अन्य उछाह।
सदा देखते ही बने, बिटिया का उत्साह।

दोनों कुल की आबरू, दोनों का सम्मान।
बिटिया सकल समाज में,मात-पिता की आन।

सासू का आदर करे, और ननद को प्यार।
देवर के संग मित्रवत्, बिटिया का व्यवहार।

रखे पास-पड़ौस में, अपनापन सहयोग।
बिटिया सबकी लाड़ली, करें प्रशंसा लोग।

घर-बाहर दोनों जगह, बैठाती जो मेल।
है बिटिया की कुशलता, समझो इसे न खेल।

बिटिया घर की संस्कृति, वह घर का संस्कार।
दोनों कुल उज्जवल करे, वचन, कर्म, व्यवहार।

नहीं सिर्फ घर में सदा, बाहर भी वह सिद्ध।
नित्य प्रगति वह कर रही, बिटिया हुई प्रसिद्ध।

कभी इंदिरा बन डटी, बन कल्पना उड़ान।
नूई है व्यापार में, प्रतिभा राष्ट्र प्रधान।

बेटी नित कर्तव्यरत्, दो उसको अधिकार।
सहज सरल निर्बाध हो, जीवन सही प्रकार।

तनय-तनया दोनों सदा, पाएँ एक सा प्यार।
भोजन-वस्त्र, पढ़ाई का, भी समान अधिकार।

डोली जिस घर से उठे, खुले रहें वे द्वार।
मात-पिता और भाई पर, सदा रहे अधिकार।

नहीं दान की वस्तु है, और न धन भी अन्य।
बेटी वह सौभाग्य है, करती दो कुल धन्य।
इंदु पाराशर

Loading...