Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 5 min read

*अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर*

अति प्राचीन कोसी मंदिर, रामपुर
—————————————
लेखक: रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451
—————————————
कोसी मंदिर की प्राचीनता का आकलन कठिन है। बुजुर्ग बताते हैं कि एक जमाना था, जब कोसी नदी कोसी मंदिर के पास होकर बहती थी। मंदिर और कोसी नदी के मध्य घाट बने हुए थे। सीढ़ियॉं उतरकर नदी में श्रद्धालुजन स्नान करते थे। अगर खोजबीन की जाए तो जमीन के भीतर घाट और सीढ़ियों के अवशेष खोजे जा सकते हैं।

मंदिर नवाबों से पहले का है। इसके प्रयोग में बहुत छोटी ईंट जिसे ‘कनकइया ईंट’ कहते हैं, का प्रयोग किया गया है। मंदिर परिसर की दीवारें चौड़ी है। ऊंचाई कम है। ऐसा जान पड़ता है कि मंदिर की भव्यता प्रवेश से पहले ही श्रद्धालुओं को नजर आने लगे, ऐसी संरचना का प्रयोग किया गया है। मंदिर परिसर में जो भवन बनाए गए हैं उनमें एक दो स्थानों पर प्राचीनता स्पष्ट दिखाई पड़ रही है।
एक प्राचीन भवन तो कर्मचारियों के रहने के कार्य आता है। पहले इसमें भंडारे भी होते थे लेकिन अब भंडारे के लिए एक अलग स्थान निर्मित कर दिया गया है।
कोसी मंदिर का इतिहास लाला हरध्यान जी के समय से ही ज्ञात हो सका। लगभग 1875 के आसपास आपके द्वारा मंदिर का सुंदरीकरण और संचालन हुआ। आप माथुर वैश्य थे। भगवान शंकर के परम भक्त थे। जनसाधारण में आज भी कोसी मंदिर को ‘ कोसी मंदिर लाला हरध्यान जी माथुर वैश्य’ का मंदिर कहा जाता है। मंदिर में भगवान शंकर का शिवालय केंद्रीय आस्था की संरचना है । शिवलिंग प्राचीन रूप में ही उपस्थित है। शिवलिंग का रंग भूरा है तथा उसके चारों ओर जल चढ़ाने की जो व्यवस्था है, वह सफेद पत्थर की है। शिवलिंग के निकट ही गर्भगृह में नंदी जी विराजमान हैं । आपका स्वरूप भी संगमरमर का है। दीवार पर एक ‘आले’ में माता पार्वती की संगमरमर की प्रतिमा है। यह भी अत्यंत प्राचीन निर्मिति है। तीन ओर से मंदिर के दरवाजे खुले रहते हैं। चौथी ओर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है।
मंदिर लगभग पॉंच फीट ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। गर्भगृह के चारों ओर परिक्रमा करने का अच्छा-खासा खुला स्थान है। त्योहार आदि के अवसर पर जब भीड़ हो जाती है, तब यह बड़ा परिक्रमा-स्थल भी छोटा लगने लगता है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में भक्तजन शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। पुष्प अर्पित करते हैं। मंदिर के सबसे बाहरी द्वार पर ही फूल बेचने की व्यवस्था है। टोकरी लेकर पुष्प-विक्रेता बैठे रहते हैं। एक दो गेरुआ वस्त्रधारी संत भी वहीं आसपास बैठे हुए दिख जाएंगे। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। पानी ठहरने से कीचड़ न हो तथा फर्श हर समय चमचमाता रहे, उसके लिए सेवक प्रति-क्षण कार्यरत रहते हैं। मंदिर संचालन व्यवस्था सुंदर है। प्राचीन शिवालय के ठीक सामने देवी माता का मंदिर है। यह स्वतंत्रता के पश्चात बना है। संपूर्ण कोसी मंदिर परिसर में जूते-चप्पल पहन कर आना माना है। भ्रमण करने के लिए रास्ते सीमेंट के बने हुए हैं। साफ हैं, अतः पैदल चलने में सुविधा रहती है। परिसर में चारों तरफ घने वृक्ष लगे हुए हैं कुछ वृक्ष तो पता नहीं कितने सैंकड़ों साल पुराने हैं।
🍂🍂🍂
मनोकामना वृक्ष
🍂🍂🍂
एक वृक्ष ‘मनोकामना वृक्ष’ कहलाता है। इस पर भक्तजन कलावा बॉंध कर चले जाते हैं और मान्यता है कि उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। हमने मनोकामना वृक्ष पर बंधे हुए बहुत से कलावे देखे। यह भक्तों की वृक्षों के प्रति आस्था को दर्शा रही प्रवृत्ति है।
🍂🍂
प्राचीन कुऑं
🍂🍂
मनोकामना वृक्ष के पास ही प्राचीन कुऑं है, जिसे लोहे के जाल से ढक दिया गया है। इस पर टीन की चादर की छतरी बनी हुई आज भी देखी जा सकती है। छतरी वाले कुएं के पास ही टीन शेड डालकर भक्तों के विश्राम आदि के लिए स्थान बनाया हुआ है।
🍂🍂🍂🍂
धार्मिक-शैक्षिक गतिविधियों से संपन्न कोसी मंदिर मार्ग
🍂🍂🍂🍂
कोसी मंदिर शहर की घनी आबादी से हटकर है। कोसी मंदिर मार्ग पर रामलीला मैदान, महर्षि वाल्मीकि मंदिर, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज और गौशाला है। कोसी मंदिर के निकट की पुलिस चौकी ‘कोसी मंदिर पुलिस चौकी’ कहलाती है।
🍂🍂🍂🍂
कोसी मंदिर अखाड़ा
🍂🍂🍂🍂
कोसी मंदिर के परिसर में एक अखाड़ा भी है। इसका नाम ‘कोसी मंदिर अखाड़ा’ है। कोसी मंदिर अखाड़े का इतिहास भी लाला हरध्यान जी के समय से है अर्थात 1875 ईसवी से इसका शुभारंभ माना जाता है। कोसी मंदिर अखाड़े में हमें दिनेश कुमार (दुर्गा मिष्ठान्न भंडार मिस्टन गंज वाले) तथा धर्मपाल रस्तोगी ज्वेलर्स (शादाब मार्केट निकट मिस्टन गंज) अखाड़े के चबूतरे पर बैठे हुए दिखे। चार-पॉंच पहलवान कसरत कर रहे थे। लंगोट पहने हुए थे। अखाड़े के उपकरण अखाड़े के चबूतरे पर एक तरफ रखे हुए थे।
दिनेश कुमार और धर्मपाल रस्तोगी से पता चला कि करीब चालीस साल से आप दोनों ही आ रहे हैं। उससे पहले किशन लाल रस्तोगी अखाड़े के उस्ताद हुआ करते थे। लल्ला उस्ताद का भी आपने स्मरण किया। अखाड़ा एक सौ पिचहतर वर्ष से चल रहा है। लोग आते हैं-जाते हैं, लेकिन अखाड़ा नहीं रुका ।
शास्त्र और शस्त्र दोनों का केंद्र सदैव से मंदिर रहे हैं। इसी परंपरा के अनुसार लाला हरध्यान जी ने कोसी मंदिर में अखाड़े की नींव डाली थी। अखाड़ा परिसर में आढ़ू-जामुन आदि के वृक्ष अखाड़े में कसरत करने वाले नवयुवकों के द्वारा हाल के वर्षों में लगाए गए हैं। एक प्रकार से अखाड़ा युवाओं को कसरती सेहत भी प्रदान कर रहा है और इतना सक्षम भी बना रहा है कि किसी बहू-बेटी की ओर कोसी मंदिर परिसर में कोई बुरी नजर से देखने का दुस्साहस नहीं कर सकता।
🍂🍂🍂🍂
कोसी मंदिर पर मेला
🍂🍂🍂🍂
कोसी मंदिर पर विभिन्न त्योहारों पर मेले लगते हैं। सबसे बड़ा मेला कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान का लगता है। पुराने जमाने में लोग मंदिर से लगे हुए घाट पर गंगा-स्नान कर लेते थे, लेकिन अब कई किलोमीटर आगे कोसी बह रही है। कुछ लोग पैदल अथवा वाहनों से कोसी नदी तक जाते हैं। काफी संख्या में लोग कोसी मंदिर में ही पूजा करके गंगा स्नान के पर्व को मना लेते हैं।
सराय गेट से कोसी मंदिर तक भारी मेला गंगा स्नान के दिन लगता है। दोनों तरफ मिट्टी के बर्तन बेचने वाले अपना सामान फैला कर बैठ जाते हैं। घड़े, सुराही, गमले, कुल्हड़ आदि भारी संख्या में बेचे और खरीदे जाते हैं। लकड़ी के बने सामान भी खूब बिकते हैं। लकड़ी की पटली, रई, चकला, बेलन आदि ऐसे अवसरों पर ही मेले में दिख जाते हैं। चाट-पकौड़ी आदि भी मिलती है।
गंगा स्नान के अवसर पर कोसी मंदिर मार्ग में विभिन्न संस्थाएं खिचड़ी का आयोजन भी करती हैं। इन सब से कोसी मंदिर की दिव्यता द्विगुणित हो जाती है।
—————————————
संदर्भ: कोसी मंदिर में दिनेश कुमार (दुर्गा मिष्ठान्न वाले) तथा धर्मपाल रस्तोगी (ज्वेलर्स, शादाब मार्केट वालों) से दिनांक 27 मई 2024 सोमवार को हुई वार्ता एवं मंदिर परिसर में भ्रमण के आधार पर।

106 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

युवा दिवस विवेकानंद जयंती
युवा दिवस विवेकानंद जयंती
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कलियों  से बनते फूल हैँ
कलियों से बनते फूल हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भाई - बहन के रिश्ते
भाई - बहन के रिश्ते
जय लगन कुमार हैप्पी
उपासना के निहितार्थ
उपासना के निहितार्थ
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
2968.*पूर्णिका*
2968.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं लेखक हूं
मैं लेखक हूं
Ankita Patel
औचित्य
औचित्य
Nitin Kulkarni
घने तिमिर में डूबी थी जब..
घने तिमिर में डूबी थी जब..
Priya Maithil
"पर्व विजयादशमी का"
राकेश चौरसिया
"" *मौन अधर* ""
सुनीलानंद महंत
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
Rituraj shivem verma
पिया की आस (तीज दोहे)
पिया की आस (तीज दोहे)
अरशद रसूल बदायूंनी
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
Harminder Kaur
दोहा
दोहा
Sudhir srivastava
देवी महात्म्य सप्तम अंक 7
देवी महात्म्य सप्तम अंक 7
मधुसूदन गौतम
कर्म ही हमारे जीवन...... आईना
कर्म ही हमारे जीवन...... आईना
Neeraj Agarwal
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
डॉ. दीपक बवेजा
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
जिस प्रकार सूर्य पृथ्वी से इतना दूर होने के बावजूद भी उसे अप
Chaahat
हंसना - रोना
हंसना - रोना
manjula chauhan
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
नहीं है
नहीं है
Arvind trivedi
#सकारात्मक_सोच😊 #सकारात्मक_सुबह😊😊 #सकारात्मक_सोमवार 😊😊😊
#सकारात्मक_सोच😊 #सकारात्मक_सुबह😊😊 #सकारात्मक_सोमवार 😊😊😊
*प्रणय*
' पंकज उधास '
' पंकज उधास '
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
लोकोक्तियां (Proverbs)
लोकोक्तियां (Proverbs)
Indu Singh
पत्थर की अभिलाषा
पत्थर की अभिलाषा
Shyam Sundar Subramanian
दोस्त
दोस्त
Rambali Mishra
*** यादों का क्रंदन ***
*** यादों का क्रंदन ***
Dr Manju Saini
मेरा जीवन,
मेरा जीवन,
Urmil Suman(श्री)
माॅं
माॅं
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
Loading...