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10 May 2024 · 1 min read

प्रेम

प्रेम में छल नहीं प्रेम निर्झर निर्मल जल जैसा ।।

प्रेम सात्विक ईश्वर आराधना प्रेम में प्रपंच पाखंड कैसा।।

प्रेम हृदय स्पदन का स्वर संगीत प्रेम मन मोहन मन मीत प्रेम सरोवर पुष्प जैसा ।।

प्रेम कली कोमल मधुमती मधुमास प्रेम वर्षा फुहार प्रेम ज्वाला आग जैसा।।

प्रेम गागर में सागर कि तृप्ति प्रेम जगत का सार प्रेम सत्य संसार जैसा।।

प्रेम नैतिकता कि सीढ़ी प्रेम सद्भवना सबृद्धि जैसा ।।

प्रेम शत्र शास्त्र प्रेम अटल विश्वास प्रेम आस्था अनुभूति जैसा ।।

प्रेम पत्थर कि मूरत में चेतन शक्ति जैसा प्रेम परस्पर मर्यादा आचार व्यवहार जैसा ।।

प्रेम अविरल निश्चल प्रेम साक्ष्य सत्य संसार जैसा।।

प्रेम विरह वियोग प्रेम मिलन संयोग प्रेम आंसू की धारा मुस्कानों कि भाषा जैसा ।।

प्रेम गम की गहराई प्रेम सागर अंतर्मन ऊंचाई आकाश जैसा ।।

प्रेम जज्बा जुनून आग प्रेम जज्बातों में डुबोती तूफानों की किस्ती जैसा ।।

प्रेम अश्क में आंशिक डूब ही जाता बुझती नही प्यास प्रेम प्यास कि आग जैसा ।।

Language: Hindi
1 Like · 223 Views
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