कल्मषशून्य
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
समय समाज को विकृत संवेदना से मुक्त रखने के आवाहन के शब्दों के संयोजन का काव्य संग्रह एक छोटा प्रयास सामाजिक जीवन को नित्य निरंजन निर्मल निश्चल निर्विकार निर्विवाद निर्विरोध निर्झर रखने के आवाहन का नाद कल्मषशून्य।।