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28 Sep 2024 · 1 min read

*मेरा सपना*

मैं तुझे जब देखता हूं
जाने किस दुनिया में चला जाता हूं मैं
बंद हो चाहे आंखें मेरी
तेरी खुशबू से तुझे पहचान जाता हूं मैं

मुझे तो हरपल तू ही दिखता है सामने
क्या तुझे भी कभी याद आता हूं मैं
सदाबहार हो गई है ज़िंदगी मेरी तेरे आने से
क्या तेरी ज़िंदगी में भी बहार लाता हूं मैं

चाहता हूं मुस्कुराहट तेरे चेहरे पर हमेशा
इसके लिए कुछ भी कर सकता हूं मैं
तू माने या न माने ए मेरे दिलबर
तेरे लिए ये जान भी क़ुर्बान कर सकता हूं मैं

किसी से भी डर नहीं लगता मुझे
तेरी खामोशी से जाने क्यों डरता हूं मैं
हरपल चाहिए तू ही सामने मेरे
क्या पता है तुम्हें, तेरी हर अदा पर मरता हूं मैं

हो आसमान या हो फिर धरा
हर जगह तुझे ही देख पाता हूं मैं
तेरी याद में खो जाता हूं फिर
तुझसे मिलकर जब घर जाता हूं मैं

होती है जब भी कोई उलझन
तब भी तेरी यादों में खो जाता हूं मैं
निकलता हूं बाहर जब भी उनसे
उलझनों को भी सुलझा जाता हूं मैं

देखूँगा मुस्कुराता हुआ चेहरा तेरा
तेरी बाहों के घेरे में क़ैद हो जाऊंगा मैं
ये सपना मेरा जाने कब होगा पूरा
जब उम्रभर तेरी बाहों में सो पाऊंगा मैं।

6 Likes · 2 Comments · 269 Views
Books from सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
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