तुझसे नहीं तेरी यादों से याराना है, चेहरे से ज्यादा तेरी बातों को पहचाना है।
तुझसे नहीं तेरी यादों से याराना है,
चेहरे से ज्यादा तेरी बातों को पहचाना है।
आंखों से कुछ खास नहीं था रिश्ता मेरा,
नजरों में जो बातें थीं उनको मैंने जाना है।
अल्फ़ाज़ मेरे ना समझ सका,
अब तो बस खामोशी समझाना है।
खुश्बू तो एक जादू थी,
तेरी आंखें तो अफसाना है।
इकबार मिलीं थीं सदियों पहले,
वो नज़रें जो मयखाना हैं।
सुलगकर स्याह हो गया हूं इश्क में,
अब क्या तेरी याद में मर भी जाना हैं।
तुझसे नहीं तेरी यादों से याराना है,
चेहरे से ज्यादा तेरी बातों को पहचाना है।
विवेक शाश्वत…