Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Jul 2022 · 1 min read

बचपन अच्छा था

गिल्ली डंडे खेल खिलौने,
कच्ची मिट्टी के घर घरौने,
चिप्पी गोट्टी साथ में खेलें,
कुटिल खेल से सच्चा था,
सच में बचपन अच्छा था।

कम बुद्धि थी खोज भी कम,
ट्रेन बना चलते थे हम,
चिकनी राहें जान ले रहीं,
पथ भी कितना कच्चा था,
सच में बचपन अच्छा था।

पेड़ के बन्दर को दौड़ाना,
आम सउना मिलकर खाना,
गोली शीशे की खेल निराली,
बंदरबाँट से बढ़िया घच्चा था,
सच में बचपन अच्छा था।

खाना मीठे साथ में गट्टे,
दूध, दही , छाँछ या मट्ठे,
बदल रहे मुखड़े लेपन से,
मन भी कितना सच्चा था,
सच में बचपन अच्छा था।

मिलजुल कर ‘चार’ उठाना,
झूले पर साथी को बिठाना,
नहीं गिराना टाँग पकड़कर,
दिल भी कितना बच्चा था,
सच में बचपन अच्छा था।

————————————
आशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.

Loading...