पागल सब है स्वाद में, कैसे देते साथ।

पागल सब है स्वाद में, कैसे देते साथ।
चलो निराला राह तुम, रहे लुकाठी हाथ।।
रिश्तों के बाजार में, अर्थ हुआ रहमान।
भाव सभी संकीर्ण कर, खोजे है भूदान।।
संजय निराला
पागल सब है स्वाद में, कैसे देते साथ।
चलो निराला राह तुम, रहे लुकाठी हाथ।।
रिश्तों के बाजार में, अर्थ हुआ रहमान।
भाव सभी संकीर्ण कर, खोजे है भूदान।।
संजय निराला