यादों को दिल से मिटाने लगा है वो आजकल
जग की आद्या शक्ति हे ,माता तुम्हें प्रणाम( कुंडलिया )
कोई पढ़ ले न चेहरे की शिकन
मज़हब की आइसक्रीम
singh kunwar sarvendra vikram
23/122.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
यहां बच्चे पैदा करने की योजना बना रहे पुरुषों के लिए कुछ सुझ
!! गुजर जायेंगे दुःख के पल !!
"चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गर
गाती दुनिया मंगल गाथा, भारत देश महान की,।दिनांक -३१/१०/२३
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
वो एक ही मुलाकात और साथ गुजारे कुछ लम्हें।
ब निगाहें करम मुस्कुरा दो तुम(नज़्म)