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29 May 2024 · 1 min read

गहराई

दरकता सा दर्द हूँ
मत जाना इन मुस्कुराहटों पर,
अक्सर मुस्कुराहटों के पीछे
ज़ख्म गहरे होते हैं
इन झील सी आँखों का
बहता अश्क़ हूँ
अथाह दर्द का समंदर
लहराता है इन आँखों में
ज़रा झाँक कर देखो
डूब जाओगे
किनारा न तलाश पाओगे
अनंत गहराईयों में
गहरी कंदराओं में
खुद को पाओगे
क्या, इतनी गहराई में
उतर पाओगे
है कोई, क्या इतना साहसी
जो इस दर्द के समंदर में
गहरे बैठे पाषाणों से
मेरे हृदय का मोती
ढूँढ़ सके
तब मुझे कुछ कुछ जान पाओगे……!

©️कंचन “अद्वैता”

Language: Hindi
89 Views
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