Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2022 · 1 min read

अमर रहे गणतंत्र हमारा,सोचो नई कहानी

मना लिया गणतंत्र दिवस,हो गई खत्म कहानी
झंडा फहराया भाषण पेला,सब जमा खर्च जुवानी
जिसको देखो लूट रहे हैं,ये है सूरत जानी मानी
प्रजातंत्र में नेता अफसर, करते हैं मनमानी
आज इसे कल उसे चुना,सबके सब वेमानी
प्रजातंत्र में परेशान गण, बात है ये हैरानी
धर्म जाति अंचल में बांटा गण को, नेताओं की आसानी
सत्ता सुंदरी केन्द्र बिंदु है, सेवा नहीं सुहानी
झंडा फहराया जनगण मन गाया, खत्म हो गई कहानी
अमर रहे गणतंत्र,गण सोचो नई कहानी
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 213 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all

You may also like these posts

ज़िंदगी  है  गीत  इसको  गुनगुनाना चाहिए
ज़िंदगी है गीत इसको गुनगुनाना चाहिए
Dr Archana Gupta
सोच
सोच
Sûrëkhâ
Sunwin khẳng định vị thế là một trong những nhà cái hàng đầu
Sunwin khẳng định vị thế là một trong những nhà cái hàng đầu
Sunwin
छलावा बन गई दुल्हन की किसी की
छलावा बन गई दुल्हन की किसी की
दीपक झा रुद्रा
माँ : तेरी आंचल में.....!
माँ : तेरी आंचल में.....!
VEDANTA PATEL
🙅आज का मत🙅
🙅आज का मत🙅
*प्रणय प्रभात*
बाबा! बळ बुधि देवजौ, पट हिरदै रा खोल।
बाबा! बळ बुधि देवजौ, पट हिरदै रा खोल।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
गरीबी मैं खानदानी हूँ
गरीबी मैं खानदानी हूँ
Neeraj Mishra " नीर "
लोग अफसाना बना देते हैं
लोग अफसाना बना देते हैं
Shweta Soni
विषय:- विजयी इतिहास हमारा। विधा:- गीत(छंद मुक्त)
विषय:- विजयी इतिहास हमारा। विधा:- गीत(छंद मुक्त)
Neelam Sharma
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
--पुर्णिका---विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा'
Vijay kumar Pandey
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
ओसमणी साहू 'ओश'
मन से जंग जारी है।
मन से जंग जारी है।
Meera Thakur
माँ की ममता
माँ की ममता
Ram Krishan Rastogi
मोदी को सुझाव
मोदी को सुझाव
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
*बदरी तन-मन बरस रही है*
*बदरी तन-मन बरस रही है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
यह मेरी जन्मभूमि है(ठूँसरा)
यह मेरी जन्मभूमि है(ठूँसरा)
gurudeenverma198
यात्रा
यात्रा
Sanjay ' शून्य'
.पुराना कुछ भूलने के लिए
.पुराना कुछ भूलने के लिए
पूर्वार्थ
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
उदास लम्हों में चाहत का ख्वाब देखा है ।
Phool gufran
माॅ
माॅ
Santosh Shrivastava
3079.*पूर्णिका*
3079.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
एक पीर उठी थी मन में, फिर भी मैं चीख ना पाया ।
आचार्य वृन्दान्त
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
Suryakant Dwivedi
- उड़ान बाकी है -
- उड़ान बाकी है -
bharat gehlot
श्वान संवाद
श्वान संवाद
Shyam Sundar Subramanian
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
पत्थर जैसे दिल से दिल लगाना पड़ता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
वर्तमान समय मे धार्मिक पाखण्ड ने भारतीय समाज को पूरी तरह दोह
शेखर सिंह
*मुरली धन्य हुई जब उसको, मुरलीधर स्वयं बजाते हैं (राधेश्यामी
*मुरली धन्य हुई जब उसको, मुरलीधर स्वयं बजाते हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
Loading...