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22 Jun 2024 · 1 min read

बादल लगते कितने प्यारे हो

बादल लगते कितने प्यारे हो

बादल लगते कितने प्यारे हो
मेरे मन को भाते हो

आकाश में देखूं जब भी मैं बादलों को
अनगिनत आकृतियों में नज़र आते हो

मन को मेरे भाते हो
मिलने को जी ललचाते हो

आकाश की नीली चादर में
गहनों सा आकार बनाते हो

बादल लगते कितने प्यारे हो
मेरे मन को भाते हो

रात को चांदनी में न जानें कहां खो जाते हो
सूरज की लालीमा में कितने रंगीन हो जाते हो

जब भी तुमको देखूं मैं
हर बार नई आकृति में तुम दिख जाते हो

गौर से जब तुमको देखूं मैं
यहां से वहां पल मे उछलकूद मचाते हो

शरारती अधिक हो
एक जगह कदम नहीं टिकाते हो

मेरे मन को न जानें इतना क्यूं भाते हो
जब भी देखूं तुमको मैं हमेशा मुस्कुराते हो

बादल लगते कितने प्यारे हो
मेरे मन को भाते हो
_ सोनम पुनीत दुबे

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