दो घड़ी अयन फिर बच्चा हो गया
*नई दुकान कहॉं चलती है (हिंदी गजल)*
Prastya...💐
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बिन बोले सब कुछ बोलती हैं आँखें,
एक स्त्री चाहे वह किसी की सास हो सहेली हो जेठानी हो देवरानी
आकाश महेशपुरी की कुछ कुण्डलियाँ
मुसीबत में घर तुम हो तन्हा, मैं हूँ ना, मैं हूँ ना
बिन काया के हो गये ‘नानक’ आखिरकार
अब छंद ग़ज़ल गीत सुनाने लगे हैं हम।
हमें जीवन में अपने अनुभव से जानना होगा, हमारे जीवन का अनुभव
त्रिलोक सिंह ठकुरेला के कुण्डलिया छंद
अब चिंतित मन से उबरना सीखिए।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)