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5 May 2024 · 1 min read

नेता

नेता
आहत भावनाओं के बोल बोलते हैं
बिगड़े हूऐ आचरण करते हैं
फिर भी संन्यासी बगुला भगत बनते हैं
पकड़े गऐ तो भी, दूधिया धुला करते हैं

मुँह में राम , बगल में छुरी रखना हैं
हमें सचेत रहकर संविधान की साख बचाना हैं
हर – पल जो अपने थे ,
भेद उनके अब खुले हैं
देखन में बहुत ही गरीब गाय बनते हैं

क्या करें मौन है हम ,
ये बोलते हैं , कौडियों में तोलना हैं
हम तो लोकतंत्र हैं ,
इनका तो असंतुलन सदैव रहना हैं
000
– राजू गजभिये

Language: Hindi
118 Views
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