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15 May 2024 · 1 min read

“” *अहसास तेरा* “”

“” अहसास तेरा “”
**************
(1)” “, अक़्स तेरा
है मुझमें समाया कबसे !
और अहसास बना रहा तेरा….,
तन-मन जीवन विचारों में मेरे !!

(2)” “, हमेशा से
तू बनी रही मेरी प्रतिछाया !
और तेरे होने का अहसास ….,
यहाँ हरेक पल क्षण है पाया !!

(3)” सा “, सामने हो
या ना हो रहे तू मेरे करीब !
और तेरे पास होने की गवाही..,
चलें देते मेरे काम, जिसमें रहती तू शरीक!!

(4)” “, सफ़र ये
चले बनें ख़ुशनुमा हसीन !
और चले जब तू संग-साथ मेरे…..,
तो, खिलता रहे सदा ही मेरा नसीब !!

(5)” तेरा “, तेरा अहसास
दिए चले है मुझे संबल !
और तेरी मधुर स्मृतियों में खोया…,
चलूँ जीवन को रचाए हर्षाए प्रतिपल !!

¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥
सुनीलानंद
बुधवार,
जयपुर
राजस्थान |

Language: Hindi
102 Views
Books from सुनीलानंद महंत
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