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6 May 2024 · 1 min read

मौत मंजिल है और जिंदगी है सफर

मौत मंजिल है और जिंदगी है सफर में

मौत मंजिल है, और जिंदगी है सफर
इस सफर का, जहां में मजा लीजिए
कब आएगी मंजिल, किसको पता
लुफ्त हर घड़ी का उठा लीजिए
न कुछ लाए यहां, ना ही ले जाओगे
जो मिला है, उसी में सबर कीजिए
कभी सुख आएगा, कभी दुख आएगा
वक्त रुकता नहीं, सब गुजर जाएगा
एक नदी की तरह, ये सफर कीजिए
इस सफर में मिलेंगे मुसाफिर बहुत
सबसे मिलिए, सभी का अदब कीजिए
मिले मंजिल मुकम्मल सभी खुश रहें
अपने दिल में, खुदा से दुआ कीजिए

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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