भजन (बाबा भीमराव अम्बेडकर) )
आ जाओ-2 आ जाओ -२, एक बार धरा पर आ जाओ।
महू भूमि तरस रही है, सब अखियां बरस रही हैं।
आरक्षण हुआ ना पूरा, रहा पूना पैक्ट अधूरा।
तुम जैसा ना कोई सूरा, उसे आके पूर्ण करा जाओ। (1)
आ जाओ -2———
बहुजन बडी़ दूर खडे़ हैं, मिथकों में लगे पडे़ हैं।
कानून का जहां पर नाता, वहां न्याय नरम पड़ जाता।
जननेता ना इसे उठाता, इन्हे आकै पुन:जगा जाओ।( २)
आ जाओ -2—-
ये माता बहना बेटी, व्रत पूजा में रत रहती।
महा-रामा निशिदिन सेती, कुछ नाम तलक नहीं लेती।
तेरे उदय अस्त को भूली, इन्हे आकै याद दिला जाओ।( ३)
आ जाओ -२———
सब कालेज विश्वविद्धालय, वाचन और वाचनालय।
आन्दोलन वा सम्मेलन, ग्रंथ और ग्रंथालय।
“सिहं” रूपी और प्राब्लम, नित पढ़ लो और पढा़ जाओ। (४)
आ जाओ-२———