ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
चूल्हे पर रोटी बनाती माँ,
*करिए सेवा देश की, उत्तम हों सब कर्म (कुंडलिया)*
अक्सर तुट जाती हैं खामोशी ...
बस जला दिया जाता है मोहब्बत में दिल को भी,
दूहौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
भक्ति गीत (तुम ही मेरे पिता हो)
हवाओं ने बड़ी तैय्यारी की है
"एक दूसरे पर हावी हो चुके हैं ll
काश देख लेता तुम्हें और दो पल के लिए कल अपने सपने में
यदि ध्वनि हद से ज्यादा हो जाए तो सबसे पहले वो आपके ध्वनि को
कितना कुछ है मेरे भीतर
Kunwar kunwar sarvendra vikram singh
वो गली का मुहाना,वो नुक्कड़ की दुकान