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5 Apr 2024 · 1 min read

प्रीतम दोहावली

रूठ प्रेम कर मीत तू, मगर कहा भी मान।
ग़लत सही देना बता, बनना मत अनजान।।//1

डरना बिलकुल छोड़़ दे, घुलमिल लेना ठान।
धूल उड़े मिल धूल से, बन जाए तूफ़ान।।//2

चुगलखोर से बच सदा, ऐसी है वह आग।
नर नारी जो भी घिरे, जले न पाए भाग।।//3

करके छल ख़ुश जो हुआ, मूर्ख बड़ा इंसान।
झूठी बातों को कभी, मिले नहीं सम्मान।।//4

दर्द बढ़ाकर और का, पाए कैसे चैन।
ख़ुशी मिले उसको यहाँ, जिसके मरहम नैन।।//5

मुझे समझना छोड़़ कर, निज को समझो यार।
उजड़े गुलशन में तभी, आए रंग बहार।।//6

जिसकी जैसी सोच हो, उतना उसका मान।
बुरी बात कायर सुने, बलशाली गुणगान।।//7

आर.एस. ‘प्रीतम’

Language: Hindi
2 Likes · 117 Views
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