सौम्य शांतचित्त और गंभीर!
प्रयाप्त नहीं है इतनी तारीफ,
सौम्य शांतचित्त और शरीफ,
दिवंगत हुए मनमोहन सिंह की,
हां,यही तो पिछले दो दिन से,
चर्चा का विमर्श बना रहा,
अपनों ने कम,
विरोधियों ने ज्यादा कहा!
बस यही रश्म अदायगी रह गई,
किसी शख्सियत के चले जाने पर,
और फिर बिसरा के आगे बढ जाना,
यही तौर तरीका है हमने अपनाना!
लेकिन उनके जीवन मूल्य,
जिसके लिए वह समर्पित रहे,
उन्ही को कोस कर,
अपनी रोटी सेंक कर,
उन्हें अपमानित करते रहे,
और अब उन्हें मसिहा कह रहे,
घडियालि आंसू बहाना,
आडंबरि भाव भगिमा दिखाना,
कष्ट कर लगता है,
ऐसी श्रद्धांजलि जताना!
किसका कितना योगदान है,
यह उसकी क्षमता में झलकता है
कोई कम कर पाता है,
कोई ज्यादा कर जाता है,
यह देश काल परिस्थिति पर रहता है निर्भर,
परिक्षा हि लेना हो तो,
उसकि इमानदारी को परखो!
क्षद्म रुप धारण किए,
लोग संत से नेता बन गये,
कपोल कल्पित बातों को लेकर,
तिल का ताड बना गये,
बड़े बड़े आरोपों का दाग लगा गये,!
वह चुपचाप सुनता रहा,
निश्छल अपना काम करता रहा,
सिर्फ इतना जतला दिया,
इतिहास उसके प्रति दयालु रहेगा,
और मौन धारण कर सब सह गया!
उसने किसी को कमतर नहीं आंका,
किसी के गिरेबान में नहीं झांका,
अपने उद्गारों से अपनी असहमति को जताया,
तथ्यों के साथ कारण बताया,
कम कह कर भी बहुत कुछ कह गया,
हर मान अपमान चुपचाप सब गया,
वह धिर गंभीर इंसान मौन धारण कर चला।।