मेरे लफ़्ज़ों में जो खुद को तलाश लेता है।
कलयुग के बाबा
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
रूप मधुर ऋतुराज का, अंग माधवी - गंध।
मौसम जब भी बहुत सर्द होता है
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
sp ,,95अब कोई आवेश नहीं है / यह तो संभव नहीं
वह भलामानस / मुसाफिर बैठा
*अब न वो दर्द ,न वो दिल ही ,न वो दीवाने रहे*
होशियार इंसान भी ,बन जाता मतिमंद
दो व्यक्ति जो वार्तालाप करते है वह है कि क्या ,वह मात्र शब्द
रहब यदि संग मे हमर , सफल हम शीघ्र भ जायब !
सात वचन,सात फेरे सब झूठ निकले।
गुरु गोविंद सिंह जयंती विशेष
एक और द्रौपदी (अंतःकरण झकझोरती कहानी)
आखिर मुझे कहना है संवेदना है वो वेदना है