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1 Apr 2024 · 1 min read

“सम्भावना”

“सम्भावना”
लगता है
संवेदनाओं की चादर ओढ़कर
जिस दिन आदमी धमकेगा,
सत्य और सृजन
पृथ्वी में खुश होकर
अनन्त आकाश को चूमेगा।

3 Likes · 3 Comments · 125 Views
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