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20 Mar 2024 · 1 min read

“दुखती रग..” हास्य रचना

बइठि जु “आशा”,लिखन कौ,कूदि घरैतिन आय,
काली-पीली ह्वै रही, आँखि रही गुन्नाय।

कान खोलि कै अब सुनौ, मोय न कविता भाय,
चना-चबेना, धरि गई, ठँडी चाय पिलाय।

कवन घड़ी जानै रही, सौतन यह लै आय,
राशन-पानी को कहै, पोछा दियो भुलाय।

थर-थर काँपति लेखनी, स्याही तक बिखराय,
भूलि गये का लिखन कौ, पन्ना गये उड़ाय।

जैसे-तैसे जो लिख्यो, सो ही रहे सुनाय,
क्षमा बड़ेन कौ चाहिए, बात काहि बिसराय..!

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 173 Views
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
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