मैने

मैने
फिर जब रफ्ता रफ्ता
जिंदगी को पढ़ना
शुरु किया तो इल्म हुआ …
जिंदगी
महज़ सब्र के कुछ भी नहीं…
कोई बिछड़ गया तो सब्र.
कोई रूठ गया तो सब्र,
किसी ने
सवाल खड़े कर दिए
किरदार पे तो सब्र…
आरज़ू थी जिसकी
वो ना मिला तो सब्र..
हिमांशु Kulshrestha